


खतरे में सोनभद्र के वन्य जीव
सोनभद्र के जंगल से सटे एक इलाके में इन दिनों जंगली भालू के आतंक से ग्रामीणों में दहशत है , पिछले दिनों इस भालू ने एक लड़की को गंभीर रूप से घायल कर दिया ग्रामीणों का कहना है कि अक्सर जंगली जानवर अपना रुख गाँव की तरफ करते हैं लेकिन वन विभाग इनकी सुरक्षा के लिए कोई उपाय नहीं करता , कुछ दिनों पहले एक भालू अपने २ बच्चो के साथ महुअरिया जंगल से मराची गाँव कि तरफ आगये थे जिसमे भालू का एक बच्चा कुवे में गिर गया वन विभाग कि तरफ से भालू के बच्चे को तो कुवे से निकाल लिया गया लेकिन इनको जंगल का रास्ता न दिखा कर गाँव के आस पास ही छोड़ दिया गया जिससे ये भालू अभी भी गाँव के इर्द गिर्द देखे जा रहे हैं, दूसरी तरफ वन विभाग का कहना है कि जंगल में भोजन की कमी हो जाने के कारण जंगली जानवर गाँव की तरफ आ जाते हैं, वन विभाग के लोग ग्रामीणों को उनसे सावधान रहने के हिदायत दे रहे हैं, इसी तरह कि एक दूसरी घटना आज रात देखने को मिली जब एक लकडबग्घा जंगल से गाँव कि तरफ आ गया और सड़क पर उसकी लॉस लावारिस हालत में मिली . बाद में वन विभाग के रेंजेर ने बताया कि भोजन कि तलाश में यह इधर आया था और किसी वाहन की चपेट में आकर उसकी मौत हो गई .
इस के आलावा एक हाथी भी इन दिनों सोनभद्र के चोपन ,हथिनाला इलाके में देखा गया है बताया जाता है कि यह हाथी अपने झुण्ड से बिछुड़ कर छत्तीसगढ़ के जंगलो के रास्ते सोनभद्र में आ गया है पिछले दिनों इसने बभनी इलाके में इसने ग्रामीणों के कई घरो को तोड़ -फोड़ कर तबाही मचाई थी . वन विभाग इसे पकड़ने में अभी तक नाकाम है जब कि यह हाथी अभी भी सोनभद्र के अलग अलग गाँव में देखा जा रहा है,
पहली नजर में ग्रामीण इन जंगली जानवरों को ही दोषी मान कर इनकी हत्या को उतारू हो जाते है . जब कि इनके जंगलो से आबादी के इलाके में आने में इन निरीह जानवरों का कोई दोष नही है . वन विभाग लगातार वन भूमि के बढ़ने का दावा करता है लेकिन वास्तविकता यह है कि जंगलो की लगातर कटाई और पिछले ५ सालो से सूखे की स्थिति बने रहने से वन भूमि लगातार कम होती जा रही है .साथ ही साथ जंगलो में लोगो कि दखलंदाजी भी बढती जा रही है . वन विभाग और अन्य तमाम संगठन इन वन्य जीवो को बचने में नाकाम साबित हो रहे है .सोनभद्र में वन्य जीव बेमौत मारे जा रहे है. कहा है वन्य जीव संरक्षण के दावे करने वाले तमाम लोग और सरकारी विभाग ????
कहा है टी वी चेनलो पर पर्यावरण और बाघ बचाओ का नारा देने वाले शहरी लोग . जो बाघ कि फोटो छपी टी शर्ट पहन कर बाघ बचाने की अपील करते है . बाघ के आलावा भी अन्य निरीह जंगली जानवर है जो ख़त्म होने कि कगार पर है .इन्हें कौन बचाएगा ????
अगर हम सोनभद्र के प्रमुख स्थानोंपर एक नजर डाले तो हम पते है की यह के अधिकतर जगहों के नाम जानवरों और पशुओ से जुड़े है . यह तो सभी जानते है की जंगल और उनमे रहने वाले आदिवासिओ की संख्या को देखे तो सोनभद्र में इनका घनत्व उ.प्र में सबसे अधिक रहा है .लेकिन हाल के वर्सो में तस्वीर बहुत बदल चुकी है .जंगल कम से कमतर होते जा रहे है और वन विभाग कागजो पर ही वृक्षारोपड़ के आकडे पुरे करता रहा है . जो स्थान जानवरों के नमो से जाने जाते थे जैसे की हाथीनाला, तेंदू, गायघाट, बग्घानाला , सूअरसोत , हिरनखुरी अब केवल नाम के ही रह गये है. जानवर तो अब नदारद ही है .इसका कारण मनुष्यों की जंगलो में दखलंदाजी बढ़ते जाना है ,और जानवरों की जगह की कमी होना तो लाजमी ही है . लेकिन इस ओर किसी का ध्यान ही नही है .प्रशासन को आँख और कान मूंदकर यहाँ के प्राकृतिक संसाधनों के अंधाधुन्द दोहन में जुटा है होश तो तब आएगा जब यह बेजुबान जानवर भी नक्सलियो की तरह हिंशा पर उतारू हो जायेगा . और स्थिति नियंत्रण से बाहर हो जाएगी .
लेकिन अफ़सोस बेजुबान जानवर अपना प्रतिरोध
संगठित
रूप से नही दिखा सकते . हाँ आने वाले सालो में यह जरूर होगा की अब हाथी , लकड़बग्घे और सियार जैसे जानवर जो अब भी सडको पर दिख जाते है विलुप्त हो जायेगे और आने वाली पीढ़िया केवल सुना करेगी की सोनभद्र में भी कभी ये जानवर पाए जाते थे .केवल डिसकवरी जैसे चैनल में ही उनकी तस्वीर देखने को मिलेगी .
एन जी ओ वालो और सामाजिक कार्यकर्ताओ जागो . कहा हो आप सब ? सोनभद्र में जानवरों पर हो रहे अत्याचारों को कौन रोकेगा ?
ReplyDeleteanoop srivastava
e.tv.news sonbhadra
जनता को ही चेतना होगा इन्हें बचने के लिए
ReplyDeleteवन विभाग वाले तो वन संपदा बेच कर मोटी कमाई करने में व्यस्त हैं
rachna sahai said...
ReplyDeletewe all people should thought to save these animals and forest as their survival is important and neccessary to us on earth .