सोन की बातें
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Ashwini Dev Pandey
Ashwini Dev Pandey
Sunday, June 5, 2011
Monday, May 30, 2011
सोन नदी में खनन से जलचरो का जीवन संकट में
सोन नदी में खनन से जलचरो का जीवन संकट में
अवैध खनन के लीए बांधी गई नदी की धारा
खनन के बारे में बात करे तो जनपद सोनभद्र जहा खनन का ही बोलबाला है चाहे वह बालू का खनन हो, पत्थरों की या फिर प्राकृतिक संपदाओ के दोहन की, उत्तर प्रदेश की उर्जा राजधानी कहा जाने वाला यह जनपद भरपूर खनिज संपदाओ का धनि है, लेकिन पिछले कुछ दशक से यहाँ यहाँ की पहाड़ो और जंगलो को काटकर नेस्तनाबूद करने के बाद प्रदेश के सफ़ेदपोश लोगो की नजर बालू के खनन पर है... इन सफ़ेदपोशो द्वारा सोन, कनहर, बिजुल, रेणु नदियो के प्रवाह को रोककर बालू खनन किया जा रहा है जिसमे शासन से लेकर प्रशासन तक के लोग पूर्ण सहयोग कर रहे हैं.. पंडित नेहरु का स्विट्जरलैण्ड कहे जाने वाले इस क्षेत्र के प्रतिबंधित क्षेत्रो में बालू का खनन बदस्तूर जारी है.........
खनन माफियो द्वारा सोन नदी को बोल्डर व ह्युम पाइपो से पाटकर खनन व परिवहन किये जाने से नदी का जलस्तर आश्चर्यजनक ढंग से घट रहा है, नदी के कई किनारों पर मशीनो द्वारा बालू खनन किये जाने से नदी के बहाव में बाधा उत्पन्न हो चुकी है और साथ ही साथ जलचरो का जीवन खतरे में पड़ चूका है,खनन माफियो द्वारा नदी में खनन किये जाने से नदी के जल स्तर में लगातार कमी आती जा रही है आलम तो यह है कि नदी भी अब खुद कि प्यास तक नहीं बुझा पा रही है.. एक सुप्रसिद्ध संत रहीम जी क्या खूब कहना है रहिमन पानी रखिये बिन पानी सब सून लेकिन इन पंक्तियो का मतलब सिर्फ किताबो तक ही सिमित रह गया है क्यूँ कि इसका मतलब न तो खनन माफियाओ को पाता है नहीं यहाँ के आला अधिकारिओ को, बात करते हैं इन दिनों कि तो सोनभद्र के चोपन इलाके से होकर बहने वाली सोन नदी पर एक निजी कम्पनी द्वारा अपनी मशीनो को ले जाने के लिए एक अस्थाई पुल का निर्माण किया जा रहा है, इस कार्य में कम्पनी द्वारा पर्यावरण के नियमो कि पूरी तरह अनदेखी कि जा रही है, कम्पनी के लोगो द्वारा इस अस्थाई पुल के निर्माण के लिए हजारो पलास्टिक कि बालू भरी बोरिया नदी में डाली जा रही है जिससे न सिर्फ नदी के प्रवाह को खतरा उत्पन्न हो गया है बल्कि जलीय जन्तुओ के जान को भी खतरा उत्पन्न हो गया है, वही दूसरी तरफ प्रशासन का कहना है कि जो उपकरण राज्य निगम के पुल से होकर नहीं जा पाते है ऐसे उपकरणों को पहुचाने के लीए नदी में इस तरह का पुल बनवाना ही एक मात्र रास्ता है .. प्रशासन का कहना है कि इस अस्थाई पुल के निर्माण से कोई नुकसान नहीं है. लेकिन जब प्रशासन का ध्यान इस तरफ आक्रिस्ट कराया गया कि पिछली बार सोन नदी में बनाये गए अस्थायी पुल को काम पूरा होने के बाद भी नहीं हटाया गया तो जिलाधिकारी महोदय का कहना है कि इस बार इस बात को सुनिशिचित कराया जायेगा कि काम पूरा होने के बाद पुल को नदी से साफ कराया जा सके, सोनभद्र के सोन नदी का काफी हिस्सा कैमूर वन्य जिव विहार में आता है जिसमे कि प्रशासन द्वारा किसी भी तरह का छेड़-छाड़ उचित नहीं है, लेकिन जिस तरह से निजी कंपनी के लोग प्रशासन कि मिली भगत से अपनी मनमानी कराते हुए अबैध पुल का निर्माण कर रहे है उससे न सिर्फ स्थानीय लोग इस पुल के निर्माण से अपने आप को आशय महशुस कर रहे है वल्कि जिला प्रशासन भी इस बात को मान रहा है कि इस निर्माण से कोई नुकसान नहीं है... खनन इलाके में इस तरह के की पुल पहले ही बने हुए है जिससे कि नदी का बहाव लगभग रुक सा गया है .. जिससे न सिर्फ सोन नदी वल्कि पर्यावरण के नुकसान कि भी सम्भावनाये बढ जाती है...............
खनन माफियो द्वारा सोन नदी को बोल्डर व ह्युम पाइपो से पाटकर खनन व परिवहन किये जाने से नदी का जलस्तर आश्चर्यजनक ढंग से घट रहा है, नदी के कई किनारों पर मशीनो द्वारा बालू खनन किये जाने से नदी के बहाव में बाधा उत्पन्न हो चुकी है और साथ ही साथ जलचरो का जीवन खतरे में पड़ चूका है,खनन माफियो द्वारा नदी में खनन किये जाने से नदी के जल स्तर में लगातार कमी आती जा रही है आलम तो यह है कि नदी भी अब खुद कि प्यास तक नहीं बुझा पा रही है.. एक सुप्रसिद्ध संत रहीम जी क्या खूब कहना है रहिमन पानी रखिये बिन पानी सब सून लेकिन इन पंक्तियो का मतलब सिर्फ किताबो तक ही सिमित रह गया है क्यूँ कि इसका मतलब न तो खनन माफियाओ को पाता है नहीं यहाँ के आला अधिकारिओ को, बात करते हैं इन दिनों कि तो सोनभद्र के चोपन इलाके से होकर बहने वाली सोन नदी पर एक निजी कम्पनी द्वारा अपनी मशीनो को ले जाने के लिए एक अस्थाई पुल का निर्माण किया जा रहा है, इस कार्य में कम्पनी द्वारा पर्यावरण के नियमो कि पूरी तरह अनदेखी कि जा रही है, कम्पनी के लोगो द्वारा इस अस्थाई पुल के निर्माण के लिए हजारो पलास्टिक कि बालू भरी बोरिया नदी में डाली जा रही है जिससे न सिर्फ नदी के प्रवाह को खतरा उत्पन्न हो गया है बल्कि जलीय जन्तुओ के जान को भी खतरा उत्पन्न हो गया है, वही दूसरी तरफ प्रशासन का कहना है कि जो उपकरण राज्य निगम के पुल से होकर नहीं जा पाते है ऐसे उपकरणों को पहुचाने के लीए नदी में इस तरह का पुल बनवाना ही एक मात्र रास्ता है .. प्रशासन का कहना है कि इस अस्थाई पुल के निर्माण से कोई नुकसान नहीं है. लेकिन जब प्रशासन का ध्यान इस तरफ आक्रिस्ट कराया गया कि पिछली बार सोन नदी में बनाये गए अस्थायी पुल को काम पूरा होने के बाद भी नहीं हटाया गया तो जिलाधिकारी महोदय का कहना है कि इस बार इस बात को सुनिशिचित कराया जायेगा कि काम पूरा होने के बाद पुल को नदी से साफ कराया जा सके, सोनभद्र के सोन नदी का काफी हिस्सा कैमूर वन्य जिव विहार में आता है जिसमे कि प्रशासन द्वारा किसी भी तरह का छेड़-छाड़ उचित नहीं है, लेकिन जिस तरह से निजी कंपनी के लोग प्रशासन कि मिली भगत से अपनी मनमानी कराते हुए अबैध पुल का निर्माण कर रहे है उससे न सिर्फ स्थानीय लोग इस पुल के निर्माण से अपने आप को आशय महशुस कर रहे है वल्कि जिला प्रशासन भी इस बात को मान रहा है कि इस निर्माण से कोई नुकसान नहीं है... खनन इलाके में इस तरह के की पुल पहले ही बने हुए है जिससे कि नदी का बहाव लगभग रुक सा गया है .. जिससे न सिर्फ सोन नदी वल्कि पर्यावरण के नुकसान कि भी सम्भावनाये बढ जाती है...............
Monday, November 22, 2010
ऐतिहासिक धरोहर
ऐतिहासिक धरोहर
विजयगढ़ दुर्ग
उत्तर प्रदेश के जनपद सोनभद्र में स्थित विजय गढ़ और अगोरी जैसे किले जो न सिर्फ पर्यटन बल्कि पुरातात्विक अध्यन दृष्टि से भी महत्त्व पूर्ण होने के साथ साथ सांस्कृतिक व एतिहासिक विरासत को अपने अंतर में संजोये होने के बाद भी शासन की उपेक्छा का दंश झेल रहे हैं. समय रहते अगर ध्यान न दिया गया तो वह दिन दूर नहीं जब समाज के सुनहरे आतीत के ये आईने- किले जो खंडहर बन चुके हैं धरासाई होकर अपना अतीत भी खो बैठेंगे I
सुप्रसिद्ध उपन्यास कार देवकी नंदन खत्री के उपन्यास पर आधारित नीरजा गुलेरी के निर्देशन पर बनी प्रख्यात टी.वी. धारावाहिक चंद्रकांता की लोकप्रियता के बाद जनपद सोनभद्र से २० किलो मीटर दूर जंगल पहाड़ो पर स्थित इस विजय गढ़ दुर्ग की लोकप्रियता भी बढ़ गई , पहाड़ पर सैकड़ो फिट ऊंचाई पर स्थित विजयगढ़ दुर्ग के निर्माण को लेकर कोई वैधानिक या सही जानकारी नहीं मिल पाई है पर कुछ विद्वानों
का मानना है की इस दुर्ग का निर्माण तीसरी शताब्दी में आदिवासी राजाओ द्वारा कराया गया था I
महाकवि वाड़भट्ट की विन्ध्याहवी वर्डन में सबर सेनापतियो का उल्लेख है.
महाकवि वाड़भट्ट का साधना स्थल भी सोन तट ही रहा है I
राजनयिक और अंग्रेजी शासन काल के दौरान वाराणसी के राजा चेतसिंह
विजयगढ़ दुर्ग से भी तमाम धन सम्पदा लेकर ग्वालियर की तरफ प्रस्थान किये थे,
शेरशाह शूरी का अधिकार भी इस विजयगढ़ दुर्ग पर रहा है I
प्रतिवर्ष यहाँ मीराशाह बाबा का उर्ष लगता है जिसमे हजारो की संख्या में हिन्दू और मुस्लिम भाई आते हैं और परस्पर सदभाव से
इस उर्स मेले का आयोजन करते हैं I वरिस्ट साहित्यकार देव कुमार मिश्र ने अपनी पुस्तक सोन की माटी का रंग
में विजयगढ़ दुर्ग पर संत सैयद जैनुल आब्द्दीन की मजार होने के सम्बन्ध में उल्लेख किया गया है I श्री मिश्र ने लिखा है कि संत सैयद जैनुल आब्द्दीन शेरशाह शूरी के समय में थे और इनकी कृपा से ही बिना खून बहाए ही शेरशाह शूरी ने किले पर कब्ज़ा कर लिया था I
प्रतिवर्ष हजारो की तादात में शिव भक्त विजयगढ़ दुर्ग पर स्थित राम सरोवर तालाब से जल लेकर लगभग ६० किलोमीटर दूर स्थित शिवद्वार में भागवान शिव का जलाभिषेक करते है, जंगलो और पहाड़ो पर स्थित सैकड़ो फिट की उचाई पर स्थित इस सरोवर का पानी कभी कम नहीं होता है यह भी एक चमत्कार ही है जबकि इस पहाड़ के निचे उतरते ही यहाँ के स्थानीय लोगो को पेय जल के संकट का सामना
करना पड़ता है I
आदिवासी समाज के सुनहरे अतीत
का आइना अब खँडहर में परवर्तित होता जा रहा है पहाड़ पर बने इस दुर्ग को देखा जाये तो वास्तु कला का अद्वितीय उदाहरण देखने को मिलता है I
इस दुर्ग को समुद्रगुप्त ने चौथी सदी में जिस वन राज्य की स्थापना की थी उससे जोड़ कर भी
देखा जाता है I
तमाम विजयगढ़ और अगोरी किले के ऐसे
अनसुलझे सवाल हैं जो खंडहर में तब्दील होते जा रहे हैं I
विजयगढ़ दुर्ग पर बने राम सागर तालाब के अथाह जल सागर, इन किलो के निर्माण,
शिल्प कल खंड जानकारी के साथ, इसके वैज्ञानिक अध्यन के साथ पुरातात्विक व
वैज्ञानिक शोध की आवश्यकता को भी नजर अंदाज किया जाता रहा है I
विजयगढ़ व अगोरी जैसे किले तमाम विरासत को अपने अंतर में संजोये
रखने के बाद भी शासन व प्रशासन के उपेक्छाओ का दंश झेल रहा है, शीघ्र
ही यदि इसपर ध्यान न दिया गया तो वह दिन दूर नहीं कि ये ऐतिहासिक
विरासत केवल इतिहास के पन्नो में ही देखने को मिलेंगे .....
Thursday, November 18, 2010
खतरे में सोनभद्र के वन्य जीव
खतरे में सोनभद्र के वन्य जीव
सोनभद्र के जंगल से सटे एक इलाके में इन दिनों जंगली भालू के आतंक से ग्रामीणों में दहशत है , पिछले दिनों इस भालू ने एक लड़की को गंभीर रूप से घायल कर दिया ग्रामीणों का कहना है कि अक्सर जंगली जानवर अपना रुख गाँव की तरफ करते हैं लेकिन वन विभाग इनकी सुरक्षा के लिए कोई उपाय नहीं करता , कुछ दिनों पहले एक भालू अपने २ बच्चो के साथ महुअरिया जंगल से मराची गाँव कि तरफ आगये थे जिसमे भालू का एक बच्चा कुवे में गिर गया वन विभाग कि तरफ से भालू के बच्चे को तो कुवे से निकाल लिया गया लेकिन इनको जंगल का रास्ता न दिखा कर गाँव के आस पास ही छोड़ दिया गया जिससे ये भालू अभी भी गाँव के इर्द गिर्द देखे जा रहे हैं, दूसरी तरफ वन विभाग का कहना है कि जंगल में भोजन की कमी हो जाने के कारण जंगली जानवर गाँव की तरफ आ जाते हैं, वन विभाग के लोग ग्रामीणों को उनसे सावधान रहने के हिदायत दे रहे हैं, इसी तरह कि एक दूसरी घटना आज रात देखने को मिली जब एक लकडबग्घा जंगल से गाँव कि तरफ आ गया और सड़क पर उसकी लॉस लावारिस हालत में मिली . बाद में वन विभाग के रेंजेर ने बताया कि भोजन कि तलाश में यह इधर आया था और किसी वाहन की चपेट में आकर उसकी मौत हो गई .
इस के आलावा एक हाथी भी इन दिनों सोनभद्र के चोपन ,हथिनाला इलाके में देखा गया है बताया जाता है कि यह हाथी अपने झुण्ड से बिछुड़ कर छत्तीसगढ़ के जंगलो के रास्ते सोनभद्र में आ गया है पिछले दिनों इसने बभनी इलाके में इसने ग्रामीणों के कई घरो को तोड़ -फोड़ कर तबाही मचाई थी . वन विभाग इसे पकड़ने में अभी तक नाकाम है जब कि यह हाथी अभी भी सोनभद्र के अलग अलग गाँव में देखा जा रहा है,
पहली नजर में ग्रामीण इन जंगली जानवरों को ही दोषी मान कर इनकी हत्या को उतारू हो जाते है . जब कि इनके जंगलो से आबादी के इलाके में आने में इन निरीह जानवरों का कोई दोष नही है . वन विभाग लगातार वन भूमि के बढ़ने का दावा करता है लेकिन वास्तविकता यह है कि जंगलो की लगातर कटाई और पिछले ५ सालो से सूखे की स्थिति बने रहने से वन भूमि लगातार कम होती जा रही है .साथ ही साथ जंगलो में लोगो कि दखलंदाजी भी बढती जा रही है . वन विभाग और अन्य तमाम संगठन इन वन्य जीवो को बचने में नाकाम साबित हो रहे है .सोनभद्र में वन्य जीव बेमौत मारे जा रहे है. कहा है वन्य जीव संरक्षण के दावे करने वाले तमाम लोग और सरकारी विभाग ????
कहा है टी वी चेनलो पर पर्यावरण और बाघ बचाओ का नारा देने वाले शहरी लोग . जो बाघ कि फोटो छपी टी शर्ट पहन कर बाघ बचाने की अपील करते है . बाघ के आलावा भी अन्य निरीह जंगली जानवर है जो ख़त्म होने कि कगार पर है .इन्हें कौन बचाएगा ????
अगर हम सोनभद्र के प्रमुख स्थानोंपर एक नजर डाले तो हम पते है की यह के अधिकतर जगहों के नाम जानवरों और पशुओ से जुड़े है . यह तो सभी जानते है की जंगल और उनमे रहने वाले आदिवासिओ की संख्या को देखे तो सोनभद्र में इनका घनत्व उ.प्र में सबसे अधिक रहा है .लेकिन हाल के वर्सो में तस्वीर बहुत बदल चुकी है .जंगल कम से कमतर होते जा रहे है और वन विभाग कागजो पर ही वृक्षारोपड़ के आकडे पुरे करता रहा है . जो स्थान जानवरों के नमो से जाने जाते थे जैसे की हाथीनाला, तेंदू, गायघाट, बग्घानाला , सूअरसोत , हिरनखुरी अब केवल नाम के ही रह गये है. जानवर तो अब नदारद ही है .इसका कारण मनुष्यों की जंगलो में दखलंदाजी बढ़ते जाना है ,और जानवरों की जगह की कमी होना तो लाजमी ही है . लेकिन इस ओर किसी का ध्यान ही नही है .प्रशासन को आँख और कान मूंदकर यहाँ के प्राकृतिक संसाधनों के अंधाधुन्द दोहन में जुटा है होश तो तब आएगा जब यह बेजुबान जानवर भी नक्सलियो की तरह हिंशा पर उतारू हो जायेगा . और स्थिति नियंत्रण से बाहर हो जाएगी .
लेकिन अफ़सोस बेजुबान जानवर अपना प्रतिरोध
संगठित
रूप से नही दिखा सकते . हाँ आने वाले सालो में यह जरूर होगा की अब हाथी , लकड़बग्घे और सियार जैसे जानवर जो अब भी सडको पर दिख जाते है विलुप्त हो जायेगे और आने वाली पीढ़िया केवल सुना करेगी की सोनभद्र में भी कभी ये जानवर पाए जाते थे .केवल डिसकवरी जैसे चैनल में ही उनकी तस्वीर देखने को मिलेगी .
Monday, November 15, 2010
बड़ा हादसा
बड़ा हादसा
सोनभद्र के वाराणसी शक्तिनगर मार्ग पर (किलर रोड) के चोपन थाना छेत्र के डाला इलाके में एक सड़क हादसे में ट्रक के पलट जाने से ट्रक पर सवार सात बच्चो और एक युवती समेत आठ लोगो कि मौत हो गयी जबकि लगभग ४० लोग घायल हो गए इस घायलों में लगभग १ दर्जन लोगो कि स्थिति नाजुक बनी हुई है, मौके पर पहुंचे जिलाधिकारी द्वारा मृतको के परिजनों को ५०-५० हजार रूपये मुख्या मंत्री रहत कोस से दिए जाने कि बात कही और घायलों के समुचित इलाज के लीए कहा
सोमवार को सोनभद्र में किलर रोड नाम से मशहूर वाराणसी शक्ति नगर मार्ग पर चोपन थाना छेत्र के डाला इलाके में कोयले से लदी ट्रक पलट गई इस ट्रक में लगभग साठ कि संख्या में मजदुर बैठे थे ये मजदुर तिल्गुडवा से राबर्ट्सगंज कोतवाली छेत्र के तेंदू गाँव में धान कि कटाई करने के लिए जा रहे थे , सड़क दुर्घटना के बाद पुलिस मौके पर पहुँच कर घायलों को प्राथमिक उपचार के लीए स्वास्थ्य केंद्र चोपन में भर्ति कराया इस ट्रक में लगभग साठ कि संख्या में मजदुर बैठे थे ये मजदुर तिल्गुडवा से राबर्ट्सगंज कोतवाली छेत्र के तेंदू गाँव में धान कि कटाई करने के लिए जा रहे थे.
Monday, February 22, 2010
नवजात की मौत से खुली मिशनरी हॉस्पिटल के रियायती चिकित्सा की पोल
नवजात की मौत से खुली मिशनरी हॉस्पिटल के रियायती चिकित्सा की पोल
सोनभद्र के राबर्ट्सगंज जैसे अति पिछड़े इलाके में स्थित जीवन ज्योति मशिही हॉस्पिटल की पोल उस समय खुली जब ३ दिन के नवजात शिशु की मौत डाक्टरों की लापरवाही और वहा मौजूद नर्शो के अनभिज्ञता के कारन हो गयी. गौरतलब है की यह हॉस्पिटल उन मिशनरी अस्पतालों की श्रेणी में आता है जो गरीबो को रिआयति चिकित्सा उपलब्ध कराने का दावा करती है, और गरीब मरीजो का शोसन कर अपना उल्लू सीधा करते हैं.
राबर्ट्सगंज निवाशी एक परिवार अपनी गर्भवती पत्नी का इलाज स्थानीय, जीवन ज्योति हॉस्पिटल में पिछले कई महीनो से करा रहा रहे थे , हर महीने इलाज के दौरान १५०० से २००० रुपये वसूलता था, इनके अनुसार डाक्टरों ने बताया उनकी पत्नी को जुड़वाँ बच्चे हैं जिसे उनके परिवार में काफी ख़ुशी का माहोल था, ध्यान रहे यह वही अस्पताल हैं जो प्रभु इशु की दुहाई का दावा करता है लेकिन शायद मॉलदार मरीजो को देखकर उनकी भी लार टपकने लगती है.
मिशन हॉस्पिटल का असली रूप उस समय सामने आया जब अकस्मात् एक रोबर्ट्सगंज निवासी परिवार की पत्नी की तबियत २९ जनुअरी २०१० को अचानक ख़राब हो गयी और हॉस्पिटल ले जाने पर फ़ौरन बड़ा ऑपरेशन करने की बात कही, जबकि डाक्टर ने डेलिवेरी की तारीख १६ फरवरी को दी थी .और उनसे काउंटर पर फ़ौरन ८००० रुपये जमा करने को कहा परिजनों ने काउंटर पर पुरे पैसे जमा कर दिए और फिर देर रात ऑपरेशन के दौरान महिला को जुड़वाँ लड़के पैदा हुवे. डाक्टरों द्वारा बताया गया की बच्चे थोडा कमजोर हैं पर घबराने की बात नहीं है अक्सर जुड़वाँ बच्चो के साथ ऐसा होता है और फिर माँ को उन्होंने वार्ड में सिफ्ट कर दिया और तब तक उनसे दवा इत्यादी के नाम पर १५,००० ऐठा जा चूका था . १ दिन बाद बच्चो को भी आइ सी यू से निकाल कर वार्ड में माँ के पास भेज दिया गया ,सब ठीक चल रहा था अचानक उनका छोटा बेटा २ जनुअरी को शुबह कुछ सुस्त था ९ बजे डॉक्टर ने चेक किया तो बताया की बच्चा ठीक है बच्चे कभी कभी चुप रहते है कोई बात नहीं है, बच्चे की तबियत बिगडती गयी और नर्स ने १२ बजे दोपहर में चेक किया और कहा बच्चा ठीक है फिर जब लेडी डॉक्टर ४ बजे शाम को चेकअप के दौरान आई तो कहा की आपके बच्चे की हालत काफी ख़राब है इसे फ़ौरन किसी बड़े अस्पताल में ले कर जाइये अब हम कुछ नहीं कर सकते और उसे वाराणसी के लीए रेफर कर दिया , इसे सुनकर महिला का परिवार काफी घबरा गया और अपने बच्चे को लेकर फ़ौरन वाराणसी लेकर भगा पर बच्चे ने रास्ते में ही दम तोड़ दिया , वाराणसी सिंह रिसर्च सेंटर में पहुचने पर डॉक्टर ने बताया आपके बच्चे को पीलिया हो गया था और अगर आप १ घंटे पहले आये होते तो आपके बच्चे को बचाया जा सकता था. पुरे परिवार में गम का माहोल छा गया . दुसरे दिन जब महिला के परिवार वाले जब अपने दुसरे बच्चे के स्वास्थ की जानकारी लेने पहुंचे तो डॉक्टरो ने कहा की आपका दूसरा बच्चा काफी कमजोर था उस वजह से उसे बचाया नहीं जा सका पर आपका ये बच्चा ठीक है इसे कोई समस्या नहीं है .पर परिवार वालो को उनकी बात पे भरोसा न था और उन्होंने अपने बच्चे को किसी दुसरे अस्पताल में दिखाने की बात कही तो मिशन के डाक्टरों द्वारा कहा गया की नहीं उसे कही लेकर मत जाइये उसे कुछ नहीं हुआ है और हमने उसे आइ सी यू में एडमिट कर लिया है पर उन्होंने अपने बच्चे को जबरन वहा से निकाल कर राबर्ट्सगंज के निजी अस्पताल नेशनल बाल चिकित्सालय में चेकअप कराया तो रिपोर्ट में पता चला की बच्चे को १३.५ पीलिया हो चूका है अगर आप इसे थोड़ी देर और रखते तो इसका बचना भी मुस्किल था. अब इसे आप क्या कहेंगे की गलती किसकी है मिशन अस्पताल के डाक्टरों से परिवार के पूछने पर की आखिर इस बच्चे को पीलिया है और आपके यहाँ नोर्मल बताया जा रहा है ऐसा क्यूँ ? तो डाक्टर ने बताया की हमारे अस्पताल में चाइल्ड स्पेसलिस्ट न होने की वजह से कभी कभी दिक्ते आ जाती हैं जब हमसे केश हैंडल नहीं हो पाता तो हम मरीज को रेफ़र कर देते हैं .
अब आप ही सोचिये इस देश में अगर ऐसे अस्पताल की संख्या पर रोक नहीं लगायी गयी तो देश का भविष्य कैसा होगा जहा सरकार का कहना है की भारत बच्चो के मामले में शून्य मृत्यु दर है ऐसे में इन जैसे मिशनरी अस्पतालों की गड़ना करना कैसे भूल सकता है इसका कारन बस हम और आप है जो बस कुछ होने पर थोड़ी देर के लीए उतावले होते हैं और कुछ दिन बीतने पर सब भूल जाते हैं .हमे एक जूट होकर इनके खिलाफ आवाज उठानी होगी .
अश्विनी देव पाण्डेय
सोनभद्र ९७९५५१२६०७
Thanks And Regards Ashwini Dev Pandey+91-9795512607
सोनभद्र के राबर्ट्सगंज जैसे अति पिछड़े इलाके में स्थित जीवन ज्योति मशिही हॉस्पिटल की पोल उस समय खुली जब ३ दिन के नवजात शिशु की मौत डाक्टरों की लापरवाही और वहा मौजूद नर्शो के अनभिज्ञता के कारन हो गयी. गौरतलब है की यह हॉस्पिटल उन मिशनरी अस्पतालों की श्रेणी में आता है जो गरीबो को रिआयति चिकित्सा उपलब्ध कराने का दावा करती है, और गरीब मरीजो का शोसन कर अपना उल्लू सीधा करते हैं.
राबर्ट्सगंज निवाशी एक परिवार अपनी गर्भवती पत्नी का इलाज स्थानीय, जीवन ज्योति हॉस्पिटल में पिछले कई महीनो से करा रहा रहे थे , हर महीने इलाज के दौरान १५०० से २००० रुपये वसूलता था, इनके अनुसार डाक्टरों ने बताया उनकी पत्नी को जुड़वाँ बच्चे हैं जिसे उनके परिवार में काफी ख़ुशी का माहोल था, ध्यान रहे यह वही अस्पताल हैं जो प्रभु इशु की दुहाई का दावा करता है लेकिन शायद मॉलदार मरीजो को देखकर उनकी भी लार टपकने लगती है.
मिशन हॉस्पिटल का असली रूप उस समय सामने आया जब अकस्मात् एक रोबर्ट्सगंज निवासी परिवार की पत्नी की तबियत २९ जनुअरी २०१० को अचानक ख़राब हो गयी और हॉस्पिटल ले जाने पर फ़ौरन बड़ा ऑपरेशन करने की बात कही, जबकि डाक्टर ने डेलिवेरी की तारीख १६ फरवरी को दी थी .और उनसे काउंटर पर फ़ौरन ८००० रुपये जमा करने को कहा परिजनों ने काउंटर पर पुरे पैसे जमा कर दिए और फिर देर रात ऑपरेशन के दौरान महिला को जुड़वाँ लड़के पैदा हुवे. डाक्टरों द्वारा बताया गया की बच्चे थोडा कमजोर हैं पर घबराने की बात नहीं है अक्सर जुड़वाँ बच्चो के साथ ऐसा होता है और फिर माँ को उन्होंने वार्ड में सिफ्ट कर दिया और तब तक उनसे दवा इत्यादी के नाम पर १५,००० ऐठा जा चूका था . १ दिन बाद बच्चो को भी आइ सी यू से निकाल कर वार्ड में माँ के पास भेज दिया गया ,सब ठीक चल रहा था अचानक उनका छोटा बेटा २ जनुअरी को शुबह कुछ सुस्त था ९ बजे डॉक्टर ने चेक किया तो बताया की बच्चा ठीक है बच्चे कभी कभी चुप रहते है कोई बात नहीं है, बच्चे की तबियत बिगडती गयी और नर्स ने १२ बजे दोपहर में चेक किया और कहा बच्चा ठीक है फिर जब लेडी डॉक्टर ४ बजे शाम को चेकअप के दौरान आई तो कहा की आपके बच्चे की हालत काफी ख़राब है इसे फ़ौरन किसी बड़े अस्पताल में ले कर जाइये अब हम कुछ नहीं कर सकते और उसे वाराणसी के लीए रेफर कर दिया , इसे सुनकर महिला का परिवार काफी घबरा गया और अपने बच्चे को लेकर फ़ौरन वाराणसी लेकर भगा पर बच्चे ने रास्ते में ही दम तोड़ दिया , वाराणसी सिंह रिसर्च सेंटर में पहुचने पर डॉक्टर ने बताया आपके बच्चे को पीलिया हो गया था और अगर आप १ घंटे पहले आये होते तो आपके बच्चे को बचाया जा सकता था. पुरे परिवार में गम का माहोल छा गया . दुसरे दिन जब महिला के परिवार वाले जब अपने दुसरे बच्चे के स्वास्थ की जानकारी लेने पहुंचे तो डॉक्टरो ने कहा की आपका दूसरा बच्चा काफी कमजोर था उस वजह से उसे बचाया नहीं जा सका पर आपका ये बच्चा ठीक है इसे कोई समस्या नहीं है .पर परिवार वालो को उनकी बात पे भरोसा न था और उन्होंने अपने बच्चे को किसी दुसरे अस्पताल में दिखाने की बात कही तो मिशन के डाक्टरों द्वारा कहा गया की नहीं उसे कही लेकर मत जाइये उसे कुछ नहीं हुआ है और हमने उसे आइ सी यू में एडमिट कर लिया है पर उन्होंने अपने बच्चे को जबरन वहा से निकाल कर राबर्ट्सगंज के निजी अस्पताल नेशनल बाल चिकित्सालय में चेकअप कराया तो रिपोर्ट में पता चला की बच्चे को १३.५ पीलिया हो चूका है अगर आप इसे थोड़ी देर और रखते तो इसका बचना भी मुस्किल था. अब इसे आप क्या कहेंगे की गलती किसकी है मिशन अस्पताल के डाक्टरों से परिवार के पूछने पर की आखिर इस बच्चे को पीलिया है और आपके यहाँ नोर्मल बताया जा रहा है ऐसा क्यूँ ? तो डाक्टर ने बताया की हमारे अस्पताल में चाइल्ड स्पेसलिस्ट न होने की वजह से कभी कभी दिक्ते आ जाती हैं जब हमसे केश हैंडल नहीं हो पाता तो हम मरीज को रेफ़र कर देते हैं .
अब आप ही सोचिये इस देश में अगर ऐसे अस्पताल की संख्या पर रोक नहीं लगायी गयी तो देश का भविष्य कैसा होगा जहा सरकार का कहना है की भारत बच्चो के मामले में शून्य मृत्यु दर है ऐसे में इन जैसे मिशनरी अस्पतालों की गड़ना करना कैसे भूल सकता है इसका कारन बस हम और आप है जो बस कुछ होने पर थोड़ी देर के लीए उतावले होते हैं और कुछ दिन बीतने पर सब भूल जाते हैं .हमे एक जूट होकर इनके खिलाफ आवाज उठानी होगी .
अश्विनी देव पाण्डेय
सोनभद्र ९७९५५१२६०७
Thanks And Regards Ashwini Dev Pandey+91-9795512607
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