Ashwini Dev Pandey

Ashwini Dev Pandey

Monday, May 30, 2011

सोन नदी में खनन से जलचरो का जीवन संकट में

सोन नदी में खनन से जलचरो का जीवन संकट में
अवैध खनन के लीए बांधी गई नदी की धारा 

 
खनन के बारे में बात करे तो जनपद सोनभद्र जहा खनन का ही बोलबाला है चाहे वह बालू का खनन हो, पत्थरों की या फिर प्राकृतिक संपदाओ के दोहन की, उत्तर प्रदेश की उर्जा राजधानी कहा जाने वाला यह जनपद भरपूर खनिज संपदाओ का धनि है, लेकिन पिछले कुछ दशक से यहाँ यहाँ की पहाड़ो और जंगलो को काटकर नेस्तनाबूद करने के बाद प्रदेश के सफ़ेदपोश लोगो की नजर बालू के खनन पर है... इन सफ़ेदपोशो द्वारा सोन, कनहर, बिजुल, रेणु नदियो के प्रवाह को रोककर बालू खनन किया जा रहा है जिसमे शासन से लेकर प्रशासन तक के लोग पूर्ण सहयोग कर रहे हैं.. पंडित नेहरु का स्विट्जरलैण्ड कहे जाने वाले इस क्षेत्र के प्रतिबंधित क्षेत्रो में बालू का खनन बदस्तूर जारी है.........        
खनन माफियो द्वारा सोन नदी को बोल्डर व ह्युम पाइपो से पाटकर खनन व परिवहन किये जाने से नदी का जलस्तर आश्चर्यजनक ढंग से घट रहा है, नदी के कई किनारों पर मशीनो द्वारा बालू खनन किये जाने से नदी के बहाव में बाधा उत्पन्न हो चुकी है और साथ ही साथ जलचरो का जीवन खतरे में पड़ चूका है,खनन माफियो द्वारा नदी में खनन किये जाने से नदी के जल स्तर में लगातार कमी आती जा रही है आलम तो यह है कि नदी भी अब खुद कि प्यास तक नहीं बुझा पा रही है.. एक सुप्रसिद्ध संत रहीम जी क्या खूब कहना है रहिमन पानी रखिये बिन पानी सब सून लेकिन इन पंक्तियो का मतलब सिर्फ किताबो तक ही सिमित रह गया है क्यूँ कि इसका मतलब न तो खनन माफियाओ को पाता है नहीं यहाँ के आला अधिकारिओ को, बात करते हैं इन दिनों कि तो सोनभद्र के चोपन इलाके से होकर बहने वाली सोन नदी पर एक निजी कम्पनी द्वारा अपनी मशीनो को ले जाने के लिए एक अस्थाई पुल का निर्माण किया जा रहा है, इस कार्य में कम्पनी द्वारा पर्यावरण के नियमो कि पूरी तरह अनदेखी कि जा रही है, कम्पनी के लोगो द्वारा इस अस्थाई पुल के निर्माण के लिए हजारो पलास्टिक कि बालू भरी बोरिया नदी में डाली जा रही है जिससे न सिर्फ नदी के प्रवाह को खतरा उत्पन्न हो गया है बल्कि जलीय जन्तुओ के जान को भी खतरा उत्पन्न हो गया है, वही दूसरी तरफ प्रशासन का कहना है कि जो उपकरण राज्य निगम के पुल से होकर नहीं जा पाते है ऐसे उपकरणों को पहुचाने के लीए नदी में इस तरह का पुल बनवाना ही एक मात्र रास्ता है .. प्रशासन का कहना है कि इस अस्थाई पुल के निर्माण से कोई नुकसान नहीं है. लेकिन जब प्रशासन का ध्यान इस तरफ आक्रिस्ट कराया गया कि पिछली बार सोन नदी में बनाये गए अस्थायी  पुल को काम पूरा होने के बाद भी नहीं हटाया गया तो जिलाधिकारी महोदय का कहना है कि इस बार इस बात को सुनिशिचित कराया जायेगा कि काम पूरा होने के बाद पुल को नदी से साफ कराया जा सके, सोनभद्र के सोन नदी का काफी हिस्सा कैमूर वन्य जिव विहार  में आता है जिसमे कि प्रशासन द्वारा किसी भी तरह का छेड़-छाड़ उचित नहीं है, लेकिन जिस तरह से निजी कंपनी के लोग प्रशासन कि मिली भगत से अपनी मनमानी कराते हुए अबैध पुल का निर्माण कर रहे है उससे न सिर्फ  स्थानीय लोग इस पुल के निर्माण से अपने आप को आशय महशुस कर रहे है वल्कि जिला प्रशासन भी इस बात को मान रहा है कि इस निर्माण से कोई नुकसान नहीं है... खनन इलाके में इस तरह के की पुल पहले ही बने हुए है जिससे कि नदी का  बहाव  लगभग रुक सा गया है .. जिससे न सिर्फ सोन नदी वल्कि पर्यावरण के नुकसान कि भी सम्भावनाये बढ जाती है...............